Sunday, October 31, 2010

Nightmares Unlimited! The Hundredth!!!!


There are these recurring nightmares that I keep having and all my attempts to get rid of them have proved futile so far... I have consulted top notch psychiatrists in Munger and all of them believe that I suffer from a psychological disorder that afflicts 9 out of 10 outsiders who settle down (I use this term loosely, a more apt description would be "are posted") in Munger. The disease is called "Mungeritis" in scientific circles and is characterized by recurrent nightmares wherein the dreamer sees himself in Munger even 30-40 years later. It is also characterized by palpitations, mood swings and anxiety when the words "Munger" and "20-30 years later" are used in the same sentence. E.g. the sentence "20-30 years later Munger will have electricity" will definitely cause heartburn to the patient as he would perceive it as meaning that he would still be in Munger 20-30 years later!

Anyways, now that the background has been set, it is time to describe a recurring nightmare that has been haunting me for the past 2-3 weeks. The nightmare usually takes the form of an interview that I am giving to a leading daily in the year 2043 in Munger itself.

                                        हमार खबरें,  दिनांक: २०/०२/२०४३, मुंगेर संस्करण 
आज हमरा पाठक लोग बहुत खुस होवी की हम मुंगेर की इतनी बड़ी हस्ती का इंटरभ्यु  प्रकासइत  करीं. मुंगेर की धरती से उपजे ई लाल और कौनो नहीं बल्कि मुंगेर वनवासी दुग्ध उत्पादन संगठन के चेयरमेन  श्री आसे मानकर रहिन. इंटरभ्यु नीचे प्रकासित है-

झुमका कुमारी (झु. कु) (इंटरभ्युभर): श्री आसे मानकर, हमार खबरें की तरफ से हम आपका स्वागत करिन.
आसे मानकर (आ. मा) : धन्यबाद
झु. कु : आप एथी अपनी इश्टोरी बतायिन हमार पाठक को
आ. मा: एथी हम तो मुंगेर सहर में २००९ में आई. टी. सी में आया था. तभी से हमें एथी भा गया था. ईहाँ  के लोग, ईहाँ की बोली, ईहाँ  की गाय, भैंस, बछड़े, सूअर और कुत्ते भी. मुंगेर का ज़मीन में जो बात है ऊ और कौनो माटी में ना होवे.
झु. कु: लेकिन चटकल (आई. टी. सी) से दूध एथी कैसन?
आ. मा: एथी, मुंगेर की हर गाय माता ४ किलो दूध देत. इस पावन धरती पर पैदा हुई हर गाय दूध की खान होवत. हम सोचीन की दूध का कारोबार मुनाफा लायीन और मुंगेर मा रोजगार भी होवी.
झु. कु: ई तो सच बात होई. तोहर एथी कितना चाचाजी?
आ. मा: हमार एथी तो एथी होवी. गुज़र बसर आराम से हो जात. इस बुढापे में और की चाहीन.
झु. कु: २००९ के मुंगेर और २०४३ के मुंगेर मा की फरक होविन चाचाजी?
आ. मा:  २००९ मा लोग गाय, भैंस रस्ते से उठावत. आज मुंगेर में भारत के अकेला गाय/भैंस माल होविन. हमार आखरी भैंस फुलवा हम वहीँ से खरीदा हूँ. २००९ मा लोग सड़क पे खड़े खड़े पिसाब करीन. आज ऊ ऊई सड़क पर बैठ कर पिसाब कर सकिन. २००९ मा एथी नहीं होविन. आज मुंगेर बिजली गाय-पाभर से बिजली बनायीं. मुंगेर देस का नाम रोसन करी
झु. कु: हमार जवान पाठको के लिए कुछ संदेस देई चाचाजी.
आ. मा:  मुंगेर के बांके नौजवानों को हम ई सलाह देना चाहिन की दिल्ली-बम्बई की लड़के-लडकियों की तरह चुम्मा-चाटी के चक्कर में ना पड़ीन. गाय हमार माता होवी और ई हम सबकी जिम्मेदारी होवी की हम गाय मा की सभा करीन. गाय की सेवा मतलब मा की सेवा, मा की सेवा मतलब मुंगेर की सेवा और मुंगेर की सेवा मतलब देस की सेवा.
झु. कु: चाचाजी, एक आखरी सवाल. तोहार गाय का फेवरिट गाना कौनो होई?
आ. मा:  हमार फेवरिट गाय "ललिया" का फेवरिट गाना होवी ____________

Which is when I usually wake up with a start... All sweaty and shivering from the scene that I have just witnessed in my sleep. The nightmares are never-ending and the emotional scars that they leave take forever to heal!

Anyways... Happy Hundredth!!!!! :)

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