पल पल है भारी जो विपदा है आई
- देश की राजधानी में लड़कियों का घर से बाहर निकलने में खौफ खाना
- आपकी पुलिस का निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाना
- राष्ट्रीय दामाद को ज़मीन कौड़ियों के दाम पर मिल जाना
- 2-G स्पेक्ट्रम में देश के करोड़ों रुपयें गबन होना
- लोकपाल बिल का ओछी राजनीती का शिकार बन जाना
- आपके गृह मंत्री का आतंकवादियों के सरगना हाफिज़ सईद को 'श्री' की उपाधि देना
- FDI के नाम पर विदेशी ताकतों के सामने झुक कर देश के हितों को बेच देना
- गरीबों को मासिक 600 रुपैये में परिवार चलाने को कहना
- आप ही के देश में आ कर रहमान मलिक का 26/11 और बाबरी मस्जिद की तुलना करना
- देश की सुदृढ़ अर्थव्यवस्था का चौपट होने वाला हाल होना
और देश के किये इससे ज्यादा विडम्बना की बात क्या हो सकती है कि आप जैसा सुशिक्षित टेक्नोक्रैट अपनी आँखें मूंदें, ध्रुतराष्ट्र बना बैठा है। आप तो उस नीरो समान हैं, जो, जब रोम जल रहा था, तब वह बांसुरी बजा रहा था। प्रधानमंत्रीजी, अभी भी समय है, और देश का बेडा गर्क होने से रोकिये, वरना भविष्य आपको कभी माफ़ नहीं करेगा।
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